Sunday, July 5, 2015

भारतीय संविधान मे भर जाती



प्राचीन भारतीय धार्मिक ग्रंथो मे अनेक प्रकार की अछूत(शूद्र) जातियो का वर्णन मिलता है है। परंतु अंग्रेज़ सरकार ने 1935 ईस्वी मे इन जातियो का विस्तृत सर्वेक्षण करवाया और सर्वेक्षण मे पूरे देश को शूरद्रो के आधार पर नौ भागो मे बाँटा ईस सर्वेक्षण की रिपोर्ट को भारत सरकार ने कानून का रूप दे दिया जिसे “गवर्नमेंट आफ इंडिया एक्ट 1935” के नाम से जाना जाता है सर्वेक्षण की सूची निम्नलिखित प्रकार है –
1 पार्ट        I   मद्रास
2. पार्ट II   बम्बई
3. पार्ट III   बंगाल, इसमे राजवर (Rajwar) नामक जाती भी रखी गयी है
4. पार्ट IV  संयुक्त प्रांत
5. पार्ट V -   पंजाब
6. पार्ट VI-   बिहार- इसमे भी राजवर जाती राखी गयी.
7. पार्ट VII-   मध्यप्रांत और बेरार, इसमे राज्जहर जाती भी राखी गयी
8. पार्ट VIII असम
9. पार्ट IX -  उड़ीसा

उपर्युक्त सूची मे सब 429 जातियो का समावेश किया गया। सर्वेक्षण मे यह भी ज्ञात हुआ है कि –
राजभर  - Rajbhar
राज्जहर – rajjhar
राजवर – Rajwar
भर – भर
एक जाती के नाम है जो वीभिन्न रूपो मे प्रयोग किए जाते है, उत्तरप्रदेश, बिहार उड़ीसा, बंगाल, मध्यप्रदेश और बेरार मे राजभरों कि उपस्थिती बताई गयी जिनकी जनसंख्या सर्वेक्षण के अनुसार 6,30,708 थी। 1931 ईस्वी कि जनगणना रिपोर्ट के अनुसार यह गणना ठीक बैठती है। और इसमे भरो कि सम्पूर्ण जनसंख्या 5,27,174 बताई गयी है।
स्वतन्त्रता  प्राप्ति के पहले सूची बद्ध जातियो को “दलित जातियो” (Depressed classes) कहते थे। स्वतन्त्रता मिलने के बाद इन जातियो को मुख्यता तीन भागो मे बाँटा गया।
1.   अनुसूचित जातिया(Schedule Castes) – अछूत जातिया
2.   अनुसूचित जंजतिया (Schedule Tribes) – बनवासी जातिया जो अछूत नही मानी गयी।
3.   पिछड़ी जातिया (Backward Caste)- अछूत नही, पर सामाजिक दृष्टि से पिछड़े लोग।
1950 ईस्वी मे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 341 और 342 के अनुसार राष्ट्रपति ने अछूत  या दलित  जातियो को दो भागो मे विभक्त कर अध्यादेश जारी किया, जो भाग ए और बी के नाम से जाना गया।
1.   भाग –ए संविधान (अनुसूचित जाती) आदेश 1959
2.   भाग- बी  संविधान (अनुसूचित जनजाति )आदेश 1950
1951 मे उपर्युक्त आदेशो मे संशोधन भी किया ज्ञ जिसे सी भाक के नाम से जाना जाता है –
1.   भाग – सी  संविधान (अनुसूचित जाती) (भाग सी ) आदेश 1951
2.   भाग – सी  संविधान (अनुसूचित जनजाति ) (भाग सी ) आदेश 1951
संसद मे कुछ जातियो को उक्त सूची मे रखने तथा कुछ को निकालने का भी प्रस्ताव रखा गया। इन प्रस्तावो के अंतर्गत 1950 ईस्वी कि उक्त सूची मे भी संशोधन किया गया। इस अध्यादेश को “अनुसूचित जाती और अनुसूचित जनजाति सूची (परिवर्तन) आदेश 1956” के नाम से जाना जाता है। इसी प्रकार समय-समय पर सूची मे संशोधन किया गया।
1956 ईस्वी के संशोधन मे उत्तर प्रदेश के कुछ राजभर नेता राजभर जाती को अनुसूचित जाती या अनुसूचित जनजाति कि सूची मे रखने का विरोध करने लगे। इन नेताओ का कहना था कि राजभर जाती क्षत्रिय है। अतः इसे आरक्षण कि आवश्यकता नहीं है।
अतः राजभर जाती को उत्तर प्रदेश मे 1981 मे विमुक्ति जाती कि श्रेणी मे रख दिया गया। उत्तर प्रदेश शासनादेश संख्या 899 (ए)26,700(5) दिनांक 12 मई 1981 को यह आदेश जारी कर दिया गया।
शब्द ज्ञान कोश के अनुसार भर जाती को निम्नलिखित प्रकार दर्शाया गया है –
भर – Bhar (N.M.) A sub-caste amongst Hindus, traditionally deemed as untouchable.
वर्तमान भारतीय संविधान मे भर / राजभर जाती की सूची :_
भारत के विभिन्न प्रदेशों मे भर / राजभर जाती के लोग पाये जाते है। पर इस जाती की जनसंख्या का घनत्व पुरवांचलों के जिलो मे अधिक है। घोर गरीबी, अशिक्षा, एवं अंधविश्वासों के चंगुल मे फँसकर यह जाती राष्ट्र के विकास की मुख्यधारा से अभी तक नही जुड़ पायी है। इस जाती के समग्र विकास के लिए भारत सरकार से समय-समय पर सरकारी नौकरियों मे आरक्षण की मांग की जाती रही है। सरकारी दस्तावेजो के अनुसार भर/ राजभर जाती को अनुसूचित जनजाति मे सामिल करने का सुझाव भारत सरकार के पास भेजा है पर इस पर अभी तक संसंद मे बहस नही हो सकी है।
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10 सितंबर 1993 ईस्वी को मण्डल आयोग की सिफ़ारिशों के आधार पर समाज कल्याण मंत्रालय , भारत सरकार ने केंद्र से जो सूची अन्य पिछड़े वर्ग की जारी की उसके अनुसार भर/राजभर जाती को भी आरक्षण की सुविधा दी गयी है।
इन्दिरा साहनी और अन्य विरुद्ध भारत संघ और अन्य के केस न। 930(1990) मे उच्चतम न्यायालय ने 16 नवम्बर 1992 ईस्वी को 27% सरकारी नौकरियों मे रिक्त पदो के लिए अन्य पिछड़े वर्ग को जो आरक्षण देने का निर्णय दिया उसी के आधार पर भारत सरकार ने केंद्र और राज्यो की एक कामन (उभयनिष्ट) सूची जारी की। सूची जारीकरण संख्या O.M. No। 36012/22/93EXTT(SCT) ओएफ़ 8th sept. 1993 के अनुसार।
BOOK (20).jpg
उक्त सूची से ज्ञात होता है की बिहार प्रांत मे भर और राजभर को दो जाती मानकर सरकारी नौकरियों मे आरक्षण का प्रावधान किया गया। परन्तु उत्तर प्रदेश मे केवल भर जाती के नाम से आरक्षण दिया गया था। बिहार की सूची तथा केंद्र सरकार की इस प्रांत के लिए जारी सूची पूर्ण रूप से अशुद्ध है. इस सूची का दुष्प्रभाव इस समाज पर भविष्य  मे पड़ सकता है। क्योकि कालांतर मे इस आशय का बड़ा बवाल खड़ा हो सकता है की भर और राजभर बिहार प्रांत मे दो अलग-अलग जतिया है। क्योकि सरकारी गज़ट इसकी संपुष्टि करता है। यह आपत्ति जनक सूची अंग्रेज़ सरकार ने नहीं , भारत सरकार ने बनाई है। एक ही जाती को दो फांखों मे बांटकर भारत सरकार ने इस जाती के साथ घोर अन्याय किया है। एसा अन्याय तो अंग्रेज़ सरकार भी कर पायी थी।
इस जाती के विषय मे सूची तैयार करते सामी सरकारी अधिकारियों या आयोग के सर्वेक्षण कर्ताओ ने अशुद्ध  आकड़े एकत्रित कर भर और राजभर को दो खानो मे विभक्त कर दिया है। अंग्रेज़ो ने बांटो और राज करो  का जो सूत्र अपनाया था वही सूत्र गेहुओ की सरकार ने इस जाती के विषय मे अपनाया। इस जाती के राजनेता, समाज सुधारक एवं बुद्धिजीवियो ने गहरी नींद ले रखी है। जब वे गहननिद्रा से जगेंगे तब तक समय दूर चला जाएगा। आवश्यकता तो इस बात की है की भर और राजभर को समान जाती मानकर तीव्र आंदोलन छेड़ा जाय ताकि सरकार की बांटो और राज करो की नीति सफल न होने पाये। स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद भर जाती के विभक्तिकरण का यह क्रूर अन्याय असहनीय है। भर, राजभर लोग आपस मे सादी - विवाह करते है, रोटी-बोटी का नाता है उनमे प्रमपराए, रीति रिवाज, रहन-सहन इत्यादि सभी समान व एक है। फिर भी सरकारी गज़ट इस जाती को दो मानता है, विभाजन पैदा करता है। इनमे भविष्य  मे लिखा जाने वाला इतिहास इस विभाजन को कभी स्वीकार नही करेगा और न ही इस जाती के लोग इसे अंगीकार ही करेंगे। अज्ञानता बस अभी इस विषय पर कोई आंदोलन नहीं छेड़ा जा सका है। पर वह दिन दूर नही जब इस बिभाजन पर तीव्र आंदोलन चल पड़ेगा। भर राजभर एक ही जाती के समानार्थी पुकारे जाने वाले शब्द है। इनमे विभाजन सर्वथा अमान्य है। उत्तर प्रदेश सरकार ने एक अदध्यादेश जारी कर के भर और राजभर को समानर्थी मान लिया है।  

UTTAR PRADESH SHASAN (Backward Class Welfare Section-1)
In pursuance of the provisions of clause(3) of articls 948 the constitution. The governor is pleased to order the publication of the following English translation of notification no. 1259/64-1-97-70/96 dated 15 september 1997.
                              NOTIFICATION
No. 1259/64-1-97-70/96 Dated lucknow: 15 september1997
In exercise of the powers under section 13 of the Uttar Pradesh public services (Reservation for scheduled castes, scheduled Tribes and other backward classes) act. Make the following amendment in schedule 1 of the aforesaid act.   



AMENDMENT
In schedule 1 to the aforsaid ac- (a) for the entries set out in column 1 below, the entries as set out against each in column 2 shall be substituted, namely:
Column – 1
1     AHIR
4     KAHAR
15    GARORIA
24    TOLI, SAMANI, ROGANGAR
25    DARJI, IDRISI
31    BANJARA
37    BHAR
38    BHURJI, BHARBHUNJUA, BHOOJ, KANDU

Column – 2

1     AHIR, YADAV,GWALA, YADUVANSHIYA
4     KAHAR,KASHYAP
15    GARORIA,PAAL AND VAGHOL
24    TOLI, SAMANI, ROGANGAR, SAHU
25    DARJI, IDRISI, KAKUTSTHA
31    BANJARA, RANKI, MUKORI AND MUKORANI
37    BHAR, RAJBHAR
38    BHURJI, BHARBHUNJA, BHOOJ, KANDU, KASHAUDHAN

(b) after entry 57, the following entias shall be inserted, namely:-
“58 – Dhobi (Who Are Not Included In the Category Of Scheduled Caste/Scheduled Tribes)
भर / राजभर साम्राज्य पुस्तक से लिया गया
पृस्ठसंख्या 44  से 48
लेखक – श्री  एम बी राजभर
(मग्गूराम बंगल राजभर)
{राजभर रत्न }

36 comments:

  1. Rajhar ki goutra main aata hain

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  2. Jo praja ka bhar uthata hai or rajdhram ki grima ki ijat krta hi rajbhar rajbhar chtriye hote hi *rajbhar*

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    1. Chutiya hai tu jo khud ko bahut bada kshatriya kahta hai tum bhar jati ke log aadiwashi ho hind jati

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  3. तथ्यात्मक जानकारी के लिए गहन अध्ययन व शोध की आवश्यकता है
    डॉ पंचम राजभर
    आज़मगढ़

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  4. नागवंश की बिखण्डित जातियों/उपजातियों को प्रामाणिक ऐतिहासिक तथ्यों व सामाजिक संस्कारों के आधार पर एकरूपता कायम करना समय की पुकार है

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  5. Rajbhar ak kab hoga??
    Sharmana choro

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  6. Rajbhar ek esi caste ha jise log jante nahi ha

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  7. RAJBHAR EK SHASHAK CASTE HAI AAJ JAANLO RAJBHAR IS A KING JISE KAHTE HAIN NAAGVANSHI KSHATRIYA

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  8. Rajbhar samaj ka pura book chaiya

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  9. I want bhar rajbhar samrajya book give me lookesan

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  10. I want bhar rajbhar samrajya book give me lookesan

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  11. Sir ji Bhar jati ke kitane rajyo me jati kis kis jati me hai ।।।। And Biyar jati and भारद्वाज जाती का हिस्टरी क्या एंड कार्य क्या है

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  12. [24/07, 23:14] Dr Pancham Rajbhar: *भारत सरकार*
    Government of India
    *कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय*
    Ministry of Personnel, Public Grievances & Pensions
    Grievance Status for registration number : PMOPG/E/2019/0202324*
    Grievance Concerns To
    Name Of Complainant
    Pancham Rajbhar
    Date of Receipt
    *22/04/2019*
    Received By Ministry/Department
    *Prime Ministers Office*
    Grievance Description
    सेवामें ,
    मा मानव संसाधन विकास मंत्री जी भारत सरकार
    नई दिल्ली
    उत्तरदायी संस्था सन्दर्भ :-राष्ट्रीय शैक्षिक शोध एवं प्रशिक्षण परिषद/भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद भारत सरकार/राज्य सरकार विषय :- भारत सरकार द्वारा अनुमोदित/संचालित पाठ्य पुस्तकों में 11 वी सदी के राष्ट्रनायक भारशिव नागबंशीय भर कुलभूषण श्रावस्ती सम्राट सुहेलदेव राजभर जी के जीवन वृतान्तों को विनिर्दिष्ट करने के संबंध में :-
    महोदय ,
    . आप अवगत ही हैं कि भारत सरकार एवं विभिन्न प्रान्तीय सरकारों द्वारा समय समय पर देश व मातृभूमि की एकता,अखंडता,सम्प्रभुता,एवं उसकी संस्कृति ,सभ्यता की रक्षा करने के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने वाले उन तमाम राष्ट्रभक्त,महापुरुषों, शासकों आदि अमर वीर सपूतों के साहसिक जीवन वृतान्तों को ऐतिहासिक दृष्टिकोण से *राष्ट्रीय/प्रान्तीय /क्षेत्रीय स्तर पर सरकार द्वारा मान्य पाठ्य पुस्तकों में अध्ययन/अध्यापन हेतु विषय वस्तु* समाविष्ट कर समाज के प्रसंज्ञान में अध्ययन हेतु लाया जाता है जो कि भविष्य के लिए एक प्रेरणास्रोत है उक्त के क्रम में सादर आपके संज्ञान में अवगत कराना है कि इसी राष्ट्रीय स्तर की कड़ी में 11 वी सदी में जब विदेशी दुर्दान्त आक्रांता सैयद सलार मोहम्मद ग़ाज़ीमिया का प्रादुर्भाव भारत भूमि पर हुआ तो पूरे देश मे धार्मिक कट्टरता इस्लाम के नाम पर शस्त्र के बल पर भारत की सुख सम्पदा लूटते,मानवीय धर्म को खंडित कर जेहाद के नाम से क्रूरता पूर्वक धर्म परिवर्तन कराते नृशंस तबाही मचाते हुए तत्कालीन देश के शासकों को परास्त कर तत्कालीन श्रावस्ती राज्य के सम्राट भारशिव नागवंश के धर्मरक्षक राजभर कुलशिरोमणि जो कि तमाम प्रामाणिक साहित्यों/इतिहासों/अभिलेखों/साक्ष्यों के आधार पर भर/राजभर कौम में जन्मे राष्ट्रवीर परम देशभक्त महाराजा सुहेलदेव जी के राज्य में पहुंचा तो सम्राट सुहेलदेव जी ने अपनी अनोखी युद्धनीति से क्षेत्रीय राजाओं को एकजुट कर गठित सेना का नेतृत्व करके तुर्कों की लाखों सेना सहित धर्मान्धता व आतंक का प्रतीक विदेशी लुटेरा सैयद सलार मोहम्मद ग़ाज़ी मियां का वध कर राष्ट्रधर्म व मानवधर्म की रक्षा की जिसके परिणाम स्वरूप कोई भी विदेशी आक्रांता भारत देश की तरफ लगभग 159 वर्षों तक आंख उठाकर देखने की जुर्रत नहीं किया ऐसे परम प्रतापी राष्ट्रवीर को उनके राष्ट्रीय कद और पराक्रमी क्षमता के अनुसार ऐतिहासिक दृष्टि से सन्दर्भित पाठ्य पुस्तकों में नवीन प्रविष्टि कर समुचित स्थान दिया जाना उनकी वीरता,शौर्य ,पराक्रम एवं देशभक्ति का समादर करना है जिससे भारतीय समाज देश प्रेम के प्रति प्रेरणा ले सके !
    अतः आपसे प्रबल अनुरोध है कि जनभावनाओं का समादर करते हुए सरकार द्वारा संपादित/अनुमोदित/संचालित/प्रकाशित/मुद्रित समस्त पाठ्य पुस्तकों में श्रावस्ती सम्राट राष्ट्रवीर सुहेलदेव राजभर जी के जीवन वृतान्तों को पाठ्य पुस्तकों की विषय सामग्री को अध्ययन/अध्यापन के लिए शामिल किया जाना सुनिश्चित करने का कष्ट करें आभारी रहूँगा कि कृत कार्यवाही से हमे भी अवगत कराने की कृपा करेंगे ! .
    सम्मान सहित,
    भवदीय
    डॉ पंचम राजभर
    ex राष्ट्रीय महासचिव ,
    अखिल भारतीय राजभर संगठन ,
    आवास:- कुरथुवा ,सोनहरा ,बरदह ,जनपद आज़मगढ़ उ प्र 276301
    प्रतिलिपि:1--निदेशक एन सी ई आर टी उ प्र लखनऊ ,2- बेसिक शिक्षा परिषद/माध्यमिक शिक्षा परिषद उ प्र, 3:- उच्च शिक्षा परिषद उ प्र लखनऊ को समुचित कार्यवाही हेतु सम्प्रेषित--
    *Current Status*
    Case closed
    Date of Action
    *08/05/2019*
    *Remarks*


    *आवेदक द्वारा किसी प्रकार का कोई साक्ष्यी उपलब्ध नही कराया गया है जिससे शिकायतकर्ता की शिकायत पर किसी प्रकार की कार्यवाही किया जाना सम्भधव नही हैा अत- शिकायत पोषणीय नही है*
    Officer Concerns To
    Officer Name
    *Shri Arun Kumar Dube*
    Officer Designation
    *Joint Secretary*
    Contact Address
    *Chief Minister Secretariat U.P. Secretariat, Lucknow*
    Email Address
    sushil7769@gmail.com
    Contact Number
    0522 2226349
    [19/08, 07:08] Dr Pancham Rajbhar: ,

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  13. Hume ab age badnaa chahiye.

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  14. सर नागवंशी और राजभर एक है

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  15. सेवामें,
    माननीय मंत्री जी
    जनजातीय कार्य मंत्रालय
    भारत सरकार ,नई दिल्ली
    संबंधित मंत्रालय --पी एम ओ,ट्राइबल मिनिस्ट्री, होम मिनिस्ट्री --
    विषय - जनजातीय कार्य मंत्रालय भा स के पत्र सं से12026/32/12-C & LM -1 दिनांक 05/11/2012 एवं 17011/18/2018-C & LM(E-11740 क्रम में उ प्र शासन के पत्र सं 249/26-3-2020 दिनांक 20/01/2020 के अनुसार अष्टम विधानसभा याचिका समिति के निर्णय 03/01/1981 के अनुरूप भर/राजभर जाति को एस टी आरक्षण हेतु प्रस्ताव मंगाए जाने के संबंध में -
    महोदय,
    कृपया उपर्युक्त विषयक का सन्दर्भ ग्रहण करने का कष्ट करें ! जिसमें अष्टम विधानसभा याचिका समिति उ प्र में योजित याचिका 23/10/1980 में समिति द्वारा दिनांक 03/01/1981 द्वारा सर्वसम्मति से लिए गए निर्णय में भर/राजभर जाति को जो अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने की सभी अहर्ताएं पूर्ण करती है को निर्धारित प्रक्रियानुसार भारत सरकार को संस्तुति सहित प्रस्ताव भेज दिया जाय ! परंतु उसके प्रतिकूल उ प्र समाज कल्याण विभाग द्वारा लिपिकीय त्रुटिवश कतिपय कारणों से दिनांक 30/12/1982 को अनुसूचित जाति में सम्मिलित करने का प्रस्ताव भारत सरकार को सम्प्रेषित किया गया ! जिसके औचित्य पर आई जी आई भा स ने प्रस्ताव पर असहमति व्यक्त करते हुए रिजेक्ट कर दिया ! तब इस समुदाय के प्रतिनिधियों ने केंद्र व राज्य सरकार को मानक के अनुसार निहीत विधिक प्रक्रिया के अनुरूप पुनः प्रामाणिक अभिलेखों व भौतिक साक्ष्यों के आधार पर एस टी श्रेणी के आरक्षण के लिए परीक्षणोपरांत उ प्र शासन द्वारा प्रबल संस्तुति सहित प्रस्ताव उपलब्ध कराए जाने का अनुरोध किया ! तदनुसार भारत सरकार के जनजाति कार्य मंत्रालय द्वारा पत्र सं 12026/32/12 सी एंड एल एम-1 दिनांक 05/11/2012 के क्रम में उ प्र शासन के पत्र सं 294/26-3-2020 दिनांक 20/01/2020 द्वारा निदेशक अनु जाति/अनुसूचित जनजाति शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान उ प्र द्वारा अनुसूचित जनजाति के आरक्षण हेतु निर्धारित मापदंड के अनुरूप सर्वेक्षणोपरांत सुस्पष्ट सुविचारित आख्या उपलब्ध कराए जाने का आदेश निर्गत निर्गत किया इतना ही नहीं मा समाज कल्याण मंत्री उ प्र के पत्र सं 652/सामान्य/मंत्री/स क/2021 द्वारा भी प्रमुख सचिव स क उ प्र को भी निर्देशित किया गया जो अभी तक निर्धारित प्रक्रिया के तहत सर्वेक्षण/परीक्षण आख्या प्रलंबित है ! सूच्य है कि भर/राजभर जाति का अद्यतन कोई भी अनुसूचित जनजाति के लिए मानक के अनुसार सर्वेक्षण/परीक्षण तत्सम्बन्धित द्वारा नहीं किया गया है ! जिससे अग्रिम कार्यवाही विलंबित है ! जबकि इस समुदाय एवं विभागीय मंत्रालय भा स द्वारा अनवरत सुनिश्चित प्रक्रियानुसार उ प्र सरकार से संस्तुति सहित प्रस्ताव भेजे जाने का अनुरोध किया जा रहा है फिर भी न्यायोचित कार्यवाही नहीं हो रही है !
    अतः आपसे प्रबल अनुरोध है कि विषय की महत्ता एवं संवेदनशीलता को दृष्टिगत रखते हुए प्राविधानों के तहत समयबद्धता सुनिश्चित कर जनजातीय मंत्रालय भा स के अपेक्षा एवं अष्टम विधानसभा याचिका उ प्र के निर्णय दिनांक 03/01/1981 के अनुरूप लोकहित में उ प्र सरकार से भर/राजभर जाति को अनुसूचित जनजाति की सूची में अधिसूचित किये जाने हेतु विधिक रूप से संस्तुति सहित प्रस्ताव उपलब्ध कराए जाने के लिए तत्सम्बन्धित को निर्देशित करने का कष्ट करें !
    आभारी रहूंगा कि कृत कार्यवाही से हमें भी अवगत कराने की कृपा करेंगे !
    सम्मान सहित
    प्रतिलिपि -अनुलग्नकों सहित तत्सम्बन्धित को समुचित कार्यवाही हेतु सादर सम्प्रेषित ,
    भवदीय
    डॉ पंचम राजभर
    - Ex -राष्ट्रीय महासचिव -अखिल भारतीय राजभर संगठन
    -आवास -दुबरा बाजार ,बरदह जनपद आज़मगढ़ उ प्र -276301
    मोबाइल -9452292260/9889506050 -drprajbhar1962@gail.com

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  16. Dr Pancham Rajbhar: लखनऊ ,22 दिसम्बर 2017
    भारत देश की विदेशी आक्रांताओं के आधिपत्य का जबरदस्त सशस्त्र प्रतिकार कर देश की एकता अखण्डता एवं संप्रभुता सहित संस्कृति,सभ्यता के रक्षक प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857 के प्रेणता क्रिमिनल ट्राइब्स एक्ट 1871 के तहत प्रतिबंधित ब्रिटिश बिद्रोही असल स्वतंत्र्य योद्धा यानी विमुक्त ,घुमंतु जनजाति समुदाय के मूलभूत हक ,अधिकार ,व संबैधानिक संरक्षण देकर उनके सर्वांगीण विकास व उत्थान सहित देश की मुख्यविकासधारा से जोड़ने के मुद्दे को लेकर वर्तमान विधान सत्र में प्रश्नकाल के दौरान मा सदस्य व पूर्व स्पीकर श्री सुखदेव राजभर जी द्वारा विधान सभा मे प्रदेश सरकार से इस समुदाय को आरक्षण शिक्षा, सुरक्षा,आवास सहित जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ दिए जाने की मांग पर सरकार की तरफ से समाज कल्याण मंत्री श्री रमापति शास्त्री द्वारा इन जातियों के कल्याण के प्रति नकारात्मक निराशाजनक उत्तर दिए जाने पर विमुक्त, घुमंतु,जनजाति विकास परिषद उ प्र के प्रमुख महासचिव डॉ पंचम राजभर ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए सदन में मामला उठाये जाने पर प्रतिउत्तर में सबका साथ सबका विकास व समरसतायुक्त न्याय की बात करने वाली प्रदेश सरकार की नीति और नीयत पर प्रश्नचिह्न खड़ा करते
    हुए कहा कि देश की आज़ादी के लगभग 6 वर्षों बाद अय्यंगर कमेटी की सिफारिश पर हिस्टोरिकल कंपसेशन के आधार पर भारत सरकार द्वारा 31 अगस्त 1952 को उस काला कानून यानी जन्मजात अपराधशील/ जरायम पेशावर अधिनियम से मुक्त कर पुनः हैबिचुअल ऑफेंडर्स एक्ट के तहत प्रतिबंधित किया फिर भी संविधान बनाने व चलाने वाले लोगों ने सामाजिक न्याय की अनदेखी की इतना ही नहीं 1953 में काका कालेलकर आयोग ,1965 लोकुर कमेटी ,सर्वाधिक पिछड़ा वर्ग साथी आयोग ,विधान सभा/परिषद की संयुक्त संसदीय समिति,मंडल आयोग 1980,महाश्वेता देवी डी एन टी राइट्स ग्रुप ऑफ इंडिया ,न्यायमूर्ति वेंकटचलैया आयोग 2002 ,मोतीलाल नायक आयोग 2003,
    इतना ही नही केंद्र सरकार ने इन समुदाय की जातिओं/उपजातियों के कल्याण के लिए राष्ट्रीय डी एन टी आयोग भी बनाया है और कार्यरत मा दादा इदाते आयोग ने निहित शक्तियों का अध्ययन/शोध/सर्वेक्षण आदि कर प्रदेश सरकार को प्रान्तीय स्तर पर अलग से स्थायी आयोग बनाने के साथ साथ अलग से विभाग ,बजट ,निदेशालय ,फाइनेंशियल ,बोर्ड आदि का प्रबल अनुसंशा सहित सुझाव दिया प्रदेश सरकार को दिया है फिर भी प्रदेश सरकार द्वारा इस समुदाय की जातिओं के कल्याण के प्रति वायदा खिलाफी /धोखा देने का सरकार पर आरोप लगाया है !
    डॉ राजभर ने कहा कि ये विमुक्त जातियों के लिए
    रेनके आयोग 2006 ,तकनीकी सलाह समूह 2006, हरिभाऊ राठौर का लोकसभा में प्राइवेट बिल 2008 ,राष्ट्रीय सलाहकार परिषद 2011 सोनिया गांधी चैयरपर्सन ,एम एम आचार्य योजना आयोग कमेटी। 2011 एवं वर्तमान में दादा इदाते आयोग 2015 आदि आयोग व कमेटियां बनी और अपना सुझाव /संस्तुतियों को भी दिया लेकिन किसी भी राज्य या केंद्र की सरकार ने इनके विकास के लिए सामाजिक या संबैधानिक न्याय नहीं दिया बल्कि उपेक्षित ही कर नाइंसाफी ही किया जबकि वर्तमान में देश और प्रदेश में बी जे पी की ही सरकार है ! जिसने वादा भी किया था कि मौलिक अधिकारों से वंचित समुदाय को समता समानता के आधार पर न्याय मिलेगा इतना ही नहीं इस मूलनिवासी समुदाय मार्शल कौम के स्वाभिमानी लोग जिनके पूर्वजो ने देश की आन बान शान के लिए अपने प्राणों की आहुति दी यहां तक कि वे इस समुदाय के लोग सामाजिक विषमता,आर्थिक विपन्नता अशिक्षा अज्ञानता पाखंड ,व मानसिक गुलामी तथा अमानवीय यातनाओं को सहते हुए जंगलों ,पहाड़ों,नदी, नाला आदि के किनारे बसना शुरू कर,खाना बदोश की जिंदगी जैसा जीना कबूल किया लेकिन जीवन पर्यंत उन विदेशियों की अधीनता को स्वीकार नहीं किया बल्कि उनका जबरदस्त सशस्त्र विद्रोह कर मुहतोड़ जबाब देते हुए देश को आज़ादी दिलाने में महत्वपूर्ण अहम भूमिका अदा की है !!
    डॉ राजभर ने प्रदेश व केंद्र सरकार को आगाह किया कि यदि मा *दादा इदाते आयोग* की अंतरिम सिफारिश को सरकार द्वारा लागू नही किया गया तो विमुक्त ,घुमंतु समुदाय की मुख्यतः लोधी ,राजभर, बंजारा,नट,बिंद ,निषाद,केवट मल्लाह,बावरिया ,धनगर,डोम,कंकाली,अहेरिया,,गुजर,सांसी ,मेवाती ,आदि जातियों के लोग लोकतांत्रिक ढंग। से आंदोलन के लिये बाध्य होंगे जिसकी पूरी जिम्मेदारी सरकार की होगी !
    डॉ पंचम राजभर
    प्रमुख महासचिव ,विमुक्त ,घुमंतु जनजाति विकास परिषद उ प

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  17. अष्टम विधानसभा याचिका समिति उ प्र में योजित याचिका 23/10/1980 में समिति द्वारा दिनांक 03/01/1981 द्वारा सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि भर/राजभर जाति अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने की सभी अहर्ताएं पूर्ण करती है इसलिए निर्धारित प्रक्रियानुसार भारत सरकार को संस्तुति सहित प्रस्ताव भेज दिया जाय ! परंतु उसके विपरीत समाज कल्याण विभाग द्वारा लिपिकीय त्रुटिवश कतिपय कारणों से दिनांक 30/12/1982 को अनुसूचित जाति में में सम्मिलित करने का प्रस्ताव भारत सरकार को सम्प्रेषित किया गया ! जिसे आई जी आई ने रिजेक्ट कर दिया ! तब इस समुदाय के प्रतिनिधियों ने केंद्र व राज्य सरकार को मानक के अनुसार निहीत विधिक प्रक्रिया के अनुरूप पुनः प्रामाणिक अभिलेखों व भौतिक साक्ष्यों के आधार पर एस टी श्रेणी के लिए परीक्षणोपरांत उ प्र शासन द्वारा प्रबल संस्तुति सहित भेजे जाने का अनुरोध किया ! तदनुसार भारत सरकार के जनजाति कार्य मंत्रालय द्वारा पत्र सं 12026/32/12 सी एंड एम एल -1 दिनांक 08/11/2012 के क्रम में शासन के पत्र सं 294/26-3-2020 दिनांक 20/01/2020 द्वारा निदेशक अनु जाति/अनुसूचित जनजाति शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान उ प्र द्वारा सर्वेक्षणोपरांत सुस्पष्ट सुविचारित आख्या उपलब्ध कराए जाने का आदेश निर्गत जो अभी तक निर्धारित प्रक्रिया के तहत सर्वेक्षण/परीक्षण प्रलंबित है

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  18. महाराजा सुहेलदेव पासी की जय हो

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